स्वतंत्रता की बात करे तो सर्वप्रथम हमारे दिमाग में 15 अगस्त की तारीख याद आ जाती है। जहाँ भारतीय लोगो ने इस तारीख का सूर्य अपने साहस और बलिदान से चमकाया था।
स्वतंत्रता की बात करे तो सर्वप्रथम हमारे दिमाग में 15 अगस्त की तारीख याद आ जाती है। जहाँ भारतीय लोगो ने इस तारीख का सूर्य अपने साहस और बलिदान से चमकाया था। आज भी भारत की स्वतंत्रता को याद करते है तो आँखों में अश्रु आ जाते हैं। पर क्या स्वतंत्रता का अर्थ इसी तारीख तक सीमित हैं ?
यदि बात भारत की स्वतंत्रता की करे तो ,कई आंदोलन हुए ,पर क्या बिना युवा शक्ति के वे आंदोलन सफल हो पाते ?तो ,नहीं क्योंकि किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है ,जो देश का युवा है। जैसे - सुभाष चंद्र बोस ,भगत सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव और न जाने कितने अनगिनत युवाओ ने देश की स्वतंत्रता के लिए लोगो के दिल में जो अलख जगाई थी, वे यह बात साबित करती हैं कि युवा जो ठान ले ,वे सब कर सकता है।
परन्तु देश को आज़ाद कराना ही स्वतंत्रता नहीं है ,बल्कि रूढ़िवादियों से भी आज़ाद होना आज़ादी का जश्न मनाना है। जिसे साबित कर दिखया था,राजा राम मोहन रॉय ने जिन्होंने ज्ञान के बल पर सती प्रथा पर जड़ से प्रहार किया। परिणामस्वरूप उस समय के युवाओ से लेकर आज तक का युवा सती प्रथा विरोधी है। जैसे -स्वामी दयानन्द सरस्वती ,सावित्री बाई फूले आदि, जो हमेशा के लिए प्रेरणादायक है। पर क्या रूढ़िवादिता पूर्ण रूप से ख़त्म हो चुकी है,तो उत्तर है ' नहीं ' और इस नहीं को ‘हां’ में बदल रहा है युवा जो नुक्कड़ नाटक व जागरूकता अभियान से लगातार प्रयास कर रहा है।
स्वतंत्रता के कई मायने हैं जैसे विज्ञान में दूसरे देशो से स्वतंत्र होना ,जो आने वाला पढ़ा-लिखा युवा ही कर सकता है। चाहे मंगलयान ,चंद्रयान मिशन आदि भेजना हो या कोविड टीका बनाना हो। यदि युवा वैज्ञानिक नहीं होते तो हमारी जीवन लीला समाप्त हो चुकी होती अर्थात यह कहना अनुचित नहीं होगा की युवा वैज्ञानिक ,स्वदेशी अपनाकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रहा है, जिससे भारत एक नई ऊंचाई पर पहुँचेगा।
भारत देश का हर प्राणी इस बात का साक्षी रहा है कि उसे स्वतंत्राता बहुत मुश्किल से मिली है। आने वाले युवा इसे सुन कर महसूस करते है और वे जानते हैं कि इस आज़ादी को पाने के लिए अनगिनत बलिदान हुए है। और यदि देश की रक्षा ठीक से न हो तो स्वतंत्रता चले जाने में समय नहीं लगता। इसी बात को गंभीरता से लेते हुए भारत के युवा बढ़-चढ़ कर देश की रक्षा में भाग लेते है। जैसे भारतीय सेना ,ऐन.सी.सी ,ऐन.एस.एस आदि और भारत की स्वतंत्रता को निरंतर रखने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते है।
राष्ट्र के पास कई संसाधन ,
पर वरदान है युवा संसाधन।
विश्व में सबसे ज्यादा युवा वर्ग भारत में ही मौजूद है ,जो भारत को स्वर्ण अवसर देता हैं और भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में युवा अपना योगदान दे रहा है। चाहे वो स्टार्टअप ,छोटा कारोबार या बड़ा कारोबार ,जिससे निर्यात बढ़ेगा और भारत को आयात से काफ़ी हद तक स्वतंत्रता प्राप्त होगी। अर्थात हम कह सकते हैं कि युवा संसाधन भारत में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये युवा ही तो हैं ,जो ' मेक इन इंडिया ' को अपने सफल स्थान तक पंहुचा रहा हैं।
परन्तु जहाँ धर्म हैं वहाँ अधर्म का होना वास्तविकता हैं। आज भी कुछ युवा है जो देश की प्रगति के मार्ग में शामिल न होकर गलत कार्य में लिप्त है और देश की छवि को ख़राब करने का काम करते हैं। जो बहुत ही शर्म की बात हैं और उन युवाओं को सही रास्ते पे लाने का कार्य करना और बुरे तत्वों से स्वतंत्रता दिलाना भारत की प्रगति के लिए अति आवश्यक हैं।
धरती माँ ने एक समय ऐसा भी देखा जहाँ उसके बच्चो में भेदभाव हुआ करता था ,चाहे वो जाति का हो या छुआछात जैसे निचले स्तर तक का परन्तु आज के युवा इस अन्धविश्वास से उठकर मानवता के लिए विश्वास जगा रहे हैं। वास्तव में ,ये कार्य आज का आधुनिक युवा ही कर सकता है।
वैसे तो भारत में अनेक त्योहार हैं और भाँति-भाँति के लोग इसे बड़े ही उत्साह से मनाते हैं। कई लोगो के लिए कई त्योहार विशेष होते हैं तो बाकी के लिए दूसरे त्योहार, लेकिन राष्ट्रीय त्योहार जिसे भारतीय नागरिक बिना किसी भेद -भाव या कम -ज्यादा महत्व के परे इसे बड़े ही उल्लास से मनाते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि लोगो में देशप्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न होती हैं और हर साल मनाने से आने वाली पीढ़ी भी इसका महत्व जानती है जो भविष्य भारत के लिए जरुरी हैं तथा भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और हर प्रकार से उन्नत,विकसित और संपन्न बनाने की डोर युवाओ के हाथो पर ही निर्भर करती हैं। अर्थात अब युवा सजग हो जाए की ऐसे ही निर्णयों पर अमल करे जो देश के हित में हो।
भारत की युवा शक्ति ,
बढ़ाएगी भारत की शक्ति।
अतः युवा तकनिकी ,चिकित्सा,अर्थव्यवस्था ,व्यापार ,रक्षा आदि सभी क्षेत्रो में अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे है और भारत को अनंत ऊँचाइयों तक पंहुचा रहे है। ''आज़ादी का अमृत महोत्सव '' को निरंतर सफल बनाने का कार्य युवा कर रहे है। भारतीय युवा में इतना जोश हो भी क्यों ना ?यहाँ, भारत की धरती पर स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया हो, जो लाखो युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। स्वामी विवेकानंद की कही बात को आने वाले सभी युवाओ तक पहुंचाने के लिए 12 जनवरी को ''राष्ट्रीय युवा दिवस '' मनाया जाता हैं। जिससे भारत के प्रति युवा अपने कर्तव्यों को समझे और हर क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाए।
जैसे भारतीय युवाओ का भविष्य होगा वैसे ही भारत का भविष्य तथा युवा अपना उज्जवल भविष्य का निर्माण करे और अपने कर्म ,विचार व ऊर्जा को सही दिशा में लगाए और सारे बुरे तत्वों से अपने आप को स्वतंत्र रखे। ये कार्य युवा ही युवा के लिए ज्यादा अच्छे से कर सकता है ,क्योंकि उनमे परिवर्तन लाने की अद्धभुत शक्ति है। यहीं शक्ति विकासशीलता से जकड़े भारत से स्वतंत्रता दिलाकर भारत को विकसित देश का दर्जा दिलाएगी।
लेखक के बारे में- भोपाल कि अनमोल जैन युवा पोर्टल द्वारा आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता कि विजेता हैं | इसके साथ ही वह रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर की निबंध प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं |
लेखक - अनमोल जैन